छत्तीसगढ़ी दिवस 28 नवम्बर विशेष

हिंदी हिंदुस्तान के अउ छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ के सान आय
एक दसक बीत गईस फेर महतारी भाखा हमर 8 वीं अनुसूची म सामिल नैइ हो पाईस

छत्तीसगढ़ राज बने 17 बछर होगे। नवम्बर महीना ह छत्तीसगढ़ के परब आय। नवम्बर महीना ह छत्तीसगढ़ीहा मन बर दसहरा, दिवाली अउ होली के परब ल कम नोहे। 1 नवम्बर 2001 के हमर छत्तीसगढ़ ह नवा राज बनिस अउ 28 नवम्बर 2007 के विधानसभा म सरव सम्मति ले “राजभासा” के रूप म स्वीकिरीत करे गईस। छत्तीसगढ़ राज बनिस त हमर छत्तीसगढ़ में खुसी के ठिकाना नैरहिस रायपुर ल गाँव डाहर तक चरचा रहिस अउ छत्तीसगढ़ हमर सरकार ह घलो सुघ्घर मजा के हर बछर “राज्योत्सव” मनावत हावे, फेर हमर छत्तीसगढ़ के महतारी भाखा बर चुप हावय? छत्तीसगढ़ ह राज बनगे फेर एखर मूल भाखा छत्तीसगढ़ी ह आवाज नैइ बन पाईस छत्तीसगढ़ीया मन के महतारी भाखा छत्तीसगढ़ ह राजभासा के ताज नैइ पहिन पाईस छत्तीसगढ़ ल नवा राज बने 17 बछर होंगे तभो ले छत्तीसगढ़ी ह इंहा के राजकाज के भाखा नैइ बन पाईस ये हर छत्तीसगढ़ीया मन के मुहूं म तमाचा हे।




28 नवम्बर 2007 के विधानसभा म सरव सम्मति ले पारित होंगे फेर एक दसक बित गईस महतारी भाखा हमर 8 वीं अनुसूची म सामिल नैइ हो पाईस, 10 बछर म हमर महतारी भाखा ल 8 वीं अनुसूची म सामिल करे बर रंग रंग के उदिम होइस।
छत्तीसगढ़ राज भासा आयोग हर घला परयास रत हे। 1884 म साहित्यकार हीरा लाल काब्यउपाध्याय ने छत्तीसगढ़ी म ब्याकरण लेखन भी करे रहिन। हमर छत्तीसगढ़ के साहित्यकार सुन्दर लाल शर्मा, खूबचंद बघेल, हरिठाकुर, डॉ पालेश्वर शर्मा, श्याम लाल चतुर्वेदी, नरेंद्र देव वर्मा, मुकुटधर पांडेय, कोदुराम दलित, गजानन्द प्रसाद देवांगन, जैसे कतेक साहित्यकार मन छत्तीसगढ़ी के मान करें हे अउ आज हमर महतारी भाखा बर नवा-जुन्ना सबो साहित्यकार, पत्रकार, कथाकार, निबंधकर, कहानीकार, मन रोजे अपन महतारी भाखा म लिख, पढ़ के भाखा ल पोठ करत हें। संत गुरु घासीदास बाबा जी ऐसे धरम संत हें जोन हर सबले पहली हमर छत्तीसगढ़ी भाखा म अपन उपदेस दे रहिन।




“मनखे मनखे एक बरोबर” तेखरी सेती छत्तीसगढ़ म सतनामी समाज ह छत्तीसगढ़ी जानथे। संत गुरु घांसीदास जी ल पता चल गेहे रहिस के आने वाला समय म छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी ल भाखा बोले जाही तभे तो संत गुरु घांसी दास जी ह अपन उपदेस देहे रहिन मनखे मनखे एक बरोबर आज संत गुरु घासी दास जी के उपदेस ल मूल रूप म देहे के समय आ गेहे हे अउ 8 वीं अनुसूची म जोड़े के तभे हमर महतारी भाखा के मान होही। हिंदी हिंदुस्तान के भाषा आय पूरा हिंदुस्तान म हिंदी के जयकारा होत हे उसनेहे हमर छत्तीसगढ़ म हमर महतारी भाखा के जय जयकारा होना चाहि।
हिंदी हिंदुस्तान के अउ छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ के सान आय ये गोठ ल हमला गाँठ बाँध लेहे बर पढ़ही तभे हमर भाखा के मान होही, हमन छत्तीसगढ़ म रहिथन त हमला छत्तीसगढ़ी बोले म लिखे म का के लाज। अब 10 बछर ह गुजर गे तभो ल हमर छत्तीसगढ़ी भाखा ह छत्तीसगढ़ीया मन के काम काल के भाखा नैइ होय पाईस त दुःख के बात आय। अब समय आ गईस हावे हमन सब एक होई अउ अपन छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाखा ल काम काज के भाखा बनाई।




छत्तीसगढ़ राज भासा आयोग ह हर बछर छत्तीसगढ़ी के परचार-परसार बर विगत 5 बछर ल उदिम करे हावे जेमा छत्तीसगढ़ के साहित्यकार मन जुरियाथें अउ छत्तीसगढ़ी भाखा बर गुनथे अउ चरचा होथे आयोग ह बधाई के पात्र हावे।
रायपुर सहर म विगत 3-4 बछर ले साहित्यकार नन्द किशोर शुक्ल जी ह बेरा कुबेरा सरलग छत्तीसगढ़ी भाखा बर लड़त हैं वे की 8 वीं अनुसूची म जोडव उहंचे रायपुर (दुर्ग) सहर के रहैया संजीव तिवारी गुरतुर गोठ साइट के संपादक ह छत्तीसगढ़ी ल नेट के माध्यम म जन जन तक पहुचाये के उदिम करे हावे अउ कुछ दिन पहली गूगल ह छत्तीसगढ़ी म की-बोर्ड जारी करिस हे जेखर श्रेय ह संजीव जी ल जाथे। छत्तीसगढ़ के संस्कृति के बात होथे त भगवान् राम के भी चरचा होथे इहा महानदी, अरपा, सोंढूर, इंद्रावती कल कल बहथे इंहा लक्ष्मण मस्तूरिहा के गीत ह गुंजथे फेर काबर हमर महतारी भाखा ह पाछु हे। अपन महतारी भाखा के गुरु गरिमा ल पहिचाने ल परही अतुक कोमल, मधुर अउ मन भावन भाखा ल हिंदी के बरोबर लाने ल परही।

लक्ष्मी नारायण लहरे ‘साहिल’
युवा साहित्यकार पत्रकार
कोसीर सारंगढ़
(सह संपादक – सतयुग संसार रायपुर)
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